साइनस क्या हैं? इसके लक्षण, कारण और उपचार क्या हैं? | Sinus in Hindi

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इस आर्टिकल के जरिये बता रहें हैं, साइनस क्या हैं? इसके लक्षण, कारण और उपचार क्या हैं? साइनस एक प्रकार का इंस्फेक्शन हैं, जो एक प्रकार का बीमारी भी हैं। (Sinus symptoms and treatment in hindi) साइनस हमारे नाक के दोनों तरह, दोनों आँखों के बीच में और हमारे सामने सिर पर होता हैं। इन जगहों में खाली स्थान होता जिसमें हवा होती हैं, जिन्हें हम साइनस कहते हैं।

ये साइनस मिउकस को बनाने का काम करती हैं और उस नाक के माध्यम से बाहर निकालने का काम करती हैं। सर्दी-जुकाम के समय जो हमारे नाक से कफ-वलगम बाहर निकलता हैं, उसे ही मिउकस कहते हैं। यह मिउकस का काम होता हैं। साइनस के खाली जगहों को सूखने से बचाना।

साइनस का मेडिकल नाम साइनोसाइटिस और आयुर्वेद में नजला भी कहते हैं। साइनस का मेडिकल नाम साइनोसाइटिस और आयुर्वेद में नजला भी कहते हैं। साइनोसाइटिस साइनस और साइटिस मिलकर बना हैं।

साइनस के प्रकार (Type of Sinus in Hindi)

  • साइनस इंस्फेक्शन चार प्रकार के होते हैं। पहला एक्यूट साइनस, दूसरा सबएक्यूट साइनस, तीसरा क्रोनिक साइनस और चौथा रीकरंट साइनस।

एक्यूट साइनस छोटे समय तक होता हैं जो, आसानी से ठीक किया जा सकता हैं। ज्यादातर लोगों में यहीं साइनस होता हैं और इसे घरेलू उपचार से ठीक किया जा सकता हैं।

सबएक्यूट साइनोसाइटिस, यह साइनस 4 से 12 हप्ते के लिए रहता हैं। यह साइनस होने से इंस्फेक्शन काफी बढ़ जाता हैं। ऐसे में यह साइनस होने पर एक अच्छे डॉक्टर को दिखाने की आवश्यकता हैं।

क्रोनिक साइनोसाइटिस वह होता हैं, जब साइनस 12 हप्ते से ज्यादा रहता हैं, उसे ही क्रोनिक साइनोसाइटिस कहते हैं। ऐसे हालात में आपको एक अच्छे मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती हैं, जो एक अच्छे डॉक्टर ही दे सकता हैं।

चौथा साइनस हैं रीकरंट साइनोसाइटिस, यह वह साइनस होता हैं, जिसमें साल में कई बार साइनस की समस्या देखने को मिलती हैं। इसमें और कई गुणा मेडिकल उपचार की जरूरत पड़ती हैं।

साइनस होने के कारण (Causes of sinus of Hindi)

  • साइनस का मुख्य कारण वायरस और बिक्ट्रेरिया का इंस्फेक्शन होना हैं।
  • साइनस का दूसरा कारण हैं, एलर्जी का होना जैसे:- सर्दी-जुकाम और खाँसी का होना।
  • साइनस का तीसरा कारण हैं, जिन लोगों को मौसम बदलते ही या ज्यादा गंदगी और प्रदूषण के संपर्क में आने से भी नाक में इंस्फेक्शन होने से भी साइनस की समस्या हो सकता हैं।
  • साइनस होने का चौथा कारण हैं, शरीर का रोग-प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना। शरीर का रोग-प्रतिरोधक कमजोर होने से भी साइनस की समस्या हो सकती हैं।
  • साइनस का पाचवाँ कारण हैं, दिवाइटेड नेजल सेप्टम। हमारे दोनों नाक के बीच दिवाइटेड करने वाले एक सेप्टम होते हैं, यदि यह दीवार टेढ़ी हो जाती हैं। इससे एक नाक बंद हो जाता हैं और एक नाक खुला रहता हैं।
  • साइनस का छठां कारण हैं, नाक के अंदर नेजल पोलिप्स का बढ़ना जो एक प्रकार का ट्यूमर होता हैं। इससे साइनस का छेद ब्लॉक होता हैं और साइनस होने का खतरा बढ़ जाता हैं।
  • साइनस का सातवाँ कारण हैं, स्मोकिंग ज्यादा मात्रा में करना। स्मोकिंग ज्यादा मात्रा में करने से भी साइनस ब्लॉक होने का खतरा बढ़ जाता हैं।
  • साइनस होने के कारण कफ और वात दोष होता हैं।
sinus ke lakshan

साइनस के लक्षण (Symptoms of sinus of Hindi)

  1. साइनस का मुख्य लक्षण होता हैं, चेहरे में नाक के दोनों साइड दर्द होना, सिर और दोनों आँखों के बीच दर्द होना।
  2. साइनस के दूसरा लक्षण आवाज का भारीपन और गला ख़राब होना।
  3. साइनस के तीसरा लक्षण होता हैं, कई बार बुखार जैसी संभावना हो जाती हैं।
  4. साइनस का चौथा लक्षण होता हैं, नाक से स्माल की कमी होना और नाक जाम होना।
  5. साइनस का पाचवां लक्षण, बार-बार छींके-छींकें आना, यह भी साइनस का एक लक्षण हैं।
  6. साइनस का छठवां लक्षण होता हैं, कई लोगों में साइनस के कारण ऑंखें लाल होना और आँखों से पानी आना जैसी समस्या होती हैं।
  7. साइनस का सातवाँ लक्षण दाँत और मसूड़े में दर्द होना।
  8. थकान और चिड़चिड़ापन होना।

साइनस का उपचार (Treatment of Sinus in Hindi)

साइनस का उपचार साइनस के समस्या पर निर्भर करता हैं। साइनस का उपचार कई तरीकों से किया जाता हैं। साइनस का उपचार सर्जरी, दवा और घरेलू उपचार से आसानी से ठीक किया जाता हैं।

  • अगर प्लॉप्स (ट्यूमर) बड़ा हैं या फिर दोनों नाकों के बीच के लाइन टेड़ा हैं तो, ऐसे में सर्जरी, एक्सरे और सिटीस्कैन की जरूरत पड़ती हैं।
  • कई दवाइयां और एंटीबायोटिक से भी साइनस का उपचार किया जाता हैं।
  • साइनस के उपचार के लिए अपने नाक को हमेशा साफ रखना पड़ता हैं।
  • अपने आप को जितना हो सके, एलर्जी, इंस्फेक्शन से बचाना।
  • नेजल, स्प्रे से भी साइनस का उपचार किया जाता हैं।
sinus ke upchar

साइनस का घरेलू उपचार (Home remedies of sinus in Hindi)

  1. साइनस का उपचार घर पर आप जलनेति प्रकिया से कर सकते हैं। (फॉलो वीडियो)
  2. साइनस का दूसरा घरेलू उपचार गर्म पानी का भाप ले सकते हैं। गर्म पानी में थोड़ा विस्क या फिर दो-दो बूँद पिपरमिंट बुँदे डालकर उसका भाप लेने से साइनस की समस्या में काफी आराम देती हैं। इसे दिन में कम-से-कम 3-4 बार जरूर लें।
  3. साइनस की समस्या में पानी अधिक-से-अधिक मात्रा में पीना चाहिए।
  4. साइनस की समस्या में गुनगुना पानी पीना पियें।
  5. नमकीन पानी भी साइनस की समस्या में काफी आराम मिलती हैं। नमकीन पानी बनाने के लिए एक कप पानी में आधा चम्मच नमक डाललें, उसके बाद इस पानी को अच्छी तरह मिलाकर 2-3 दिन रख सकते हैं। इस पानी को किसी ड्रॉप की मदद से थोड़ी-थोड़ी देर बाद नाक में डालें, इससे काफी आराम मिलेगी।
  6. साइनस की समस्या में अपने भोजन में अच्छी खानपान को शामिल करें।
  7. साइनस के समय सर और कंधों को तकिये के ऊपर रख कर सोएँ।
  8. साइनस में हर्बल चाय बहुत राहत देती हैं।
  9. अगर बाएँ नाक बंद हैं तो दाएँ करवट लेकर सोएँ और अगर दाएँ नाक बंद हैं तो बाएँ करवट लेकर सोएँ।
  10. साइनस में हल्दी वाले दूध का भी सेवन करें और रोज एक आधी चम्मच देशी गाय के घी का सेवन करें।
  11. सौंठ, काली मिर्च और पीपली के चूर्ण जिसे त्रिकुट चूर्ण भी कहते हैं, इसका भी सेवन गर्म पानी से करने से साइनस में काफी आराम मिलता हैं।

साइनस के उपचार के लिए योग-प्राणायाम

  • जल नेति क्रिया साइनस की समस्या में बहुत आराम देती हैं। नाक खुलें हो तभी जल नेति करें। इस क्रिया को पहले आप वीडियो को देखकर सिखलें फिर इस क्रिया को करें।
  • तिर्यक मर्जरीआसन साइनस के समस्या में बहुत आराम देता हैं। इस आसान को कम-कम-कम 3-4 बार जरूर करें। (फॉलो वीडियो)
  • साइनस को दूर करने का दूसरा आसन हैं, विपरीत करनी। इस आसन को नियमित करने से साइनस में काफी आराम मिलता हैं।
  • साइनस को दूर करने का तीसरा आसन हैं, मत्स्यासन। साइनस वाले लोग इस आसन को नियमित रूप से जरूर करें।
  • साइनस दूर करने के अगला क्रिया विरेचन गति हैं। साइनस दूर करने के लिए विरेचन गति के सारे स्टेप को ध्यान पूर्वक करें।
  • साइनस दूर करने के लिए इन क्रियाओं के अलावे कपालभाति, अनुलोम विलोम और भस्रिका प्राणायाम को नियमित रूप से जरूर करें। ये तीनों प्राणायाम को 5 से 10 मिनट जरूर करें।
  • साइनस के समस्या में दो एक्सरसाइज जरूर करें, पहला जॉगिंग और दूसरा ब्रिस्क वाकिंग।
sinus ke liye yog kriya

साइनस का बचाव क्या हैं? (Sinus protection in Hindi)

  1. आप जब भी बाहर निकले मास्क लगाकर निकलें, धूल, मिट्टी और प्रदूषण से बचें।
  2. अपने आप को बिक्ट्रीरिया और इंस्फेक्शन होने से बचाएँ।
  3. अपने रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना। ऐसे चीजों का सेवन नहीं करना जिससे रोग-प्रतिरोधक कमजोर होता हो।
  4. गुनगुना पानी पीना।
  5. ऐसे लोग जिस किसी को टीवी, शुगर और HIV की समस्या हैं, ऐसे लोगों को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत हैं।
  6. सर्दी-खाँसी-जुकाम होने से बचना।
  7. सर्दी और फ्लू के मौसम अपने हाथ को बार-बार धोएँ।
  8. स्मोकिंग नहीं करें और जो लोग स्मोकिंग करते हैं, उन लोगों के सम्पर्क में नहीं आएँ।
  9. ऑयली, जंक फास्ट-फ़ूड चीजों का सेवन नहीं करें।

साइनस के नुकसान (Side effects of Sinus in Hindi)

  1. साइनस की समस्या ज्यादा दिन तक रह गया हैं, वहाँ हड्डियों और आँखों के अंदर काफी नुकसान हो सकता हैं, जिससे दिखाई कम दे सकता हैं।
  2. इसके अलावे दिमाग और कान के अंदर इंस्फेक्शन हो सकता हैं।
  3. साइनस के कारण आप हर व्यक्त अनफिट महसूस करते हैं।
  4. साइनस का समय पर उपचार नहीं करने पर हड्डियों के अंदर गंभीर साइनस फंगस इंस्फेक्शन कर सकता हैं।
sinus ke nuksan

साइनस में रखने वाले कुछ सावधानियाँ

  1. ठंडी चीजों का सेवन नहीं करें।
  2. नहाने वक्त सिर को अंत में धोयें। नहाने के अपने बाल को धूप में सुखाएँ और किसी साफ टॉवल को सिर में रखें।
  3. साइनस के समय हवाई जहाज का सफर करने से बचें।
  4. साइनस के समय पंखे और AC के संपर्क में नहीं करें।

FAQ. (साइनस से जुड़े सवाल और जबाब)

Q. साइनस के लिए नाक में क्या डालें?

Ans:- अनु तेल, नमक पानी या फिर षडबिन्दु तेल 4-4 बूँद सुबह नाक में डालेँ।

Q. साइनस में क्या नहीं करना चाहिए?

Ans:- साइनस में ठंडी खादय-प्रदार्थ चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
साइनस में कफ वर्धक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। जैसे:- तला-भुजा चीज, दूध और मैदे से बने चीज।
साइनस के समस्या में पंखे और AC के नीचे नहीं रहना चाहिए।
साइनस की समस्या में स्विमिंग करने से बचना चाहिए।
साइनस में भीड़-भाड़ और प्रदूषण वाले जगहों में नहीं जाना चाहिए।

Q. साइनस का दर्द कहाँ होता हैं?

Ans:- साइनस में चेहरे में, आँखों के नीचे और सिर में भी दर्द होता हैं।

Q. साइनस का परहेज

Ans:- साइनस में हमें परहेज करना चाहिए। जैसे:- ठंडी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए, इंस्फेक्शन, प्रदूषण और बिक्ट्रीरिया से बचना चाहिए।

Q. साइनस का ऑपरेशन कैसे होता हैं?

Ans:- साइनस का ऑपरेशन छोटा होता हैं। जिसमें आप आधे से एक घंटे में घर जा सकते हैं। अगर प्लॉप्स बड़ा हैं तो, उस प्लॉप्स को काटकर हटाया जाता हैं, जिससे ज्यादा समय नहीं लगता हैं।

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