शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ाएँ | लक्षण और उपाय

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आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिये बता रहें हैं कि, रोग-प्रतिरोधक क्षमता क्या हैं और रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण, लक्षण और इसका उपाय क्या हैं? रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए? (How to Increase Immunity Power in Hindi) बच्चों में इम्युनिटी किस प्रकार बढ़ाएँ?

रोग-प्रतिरोधक क्षमता हमारे शरीर के वह सुरक्षा चक्र हैं जो बाहरी किसी इंस्फेक्शन, बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करता हैं। रोग-प्रतिरोधक क्षमता हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता हैं। खासकर कोरोना (ओमीक्रॉन) काल में रोग-प्रतिरोधक क्षमता का महत्व और बढ़ गया हैं। अगर किसी इंसान के अंदर रोग-प्रतिरोधक क्षमता बिल्कुल ही नहीं हैं तो उस इंसान की जिन्दगी की गाड़ी एक दिन भी नहीं चल सकती हैं। 

रोग-प्रतिरोधक क्या हैं?

जब हम कहीं बाहर आते-जाते, घूमते-सोते या फिर किसी से बात करते हैं तो हर वक्त हमारा शरीर हजारों, लाखों बैक्टीरिया और वायरस से घिरा होता हैं। यहाँ तक कि जो हम खाते-पीते हैं, उसके अंदर भी होता हैं, फिर भी हमलोग जीवित रह पाते हैं क्योंकि हमारे पास रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Immunity Power) होता हैं। रोग-प्रतिरोधक क्षमता ही हमारे शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से बचाने में मदद करता हैं। रोग-प्रतिरोधक क्षमता कौशिका और प्रोटीन से मिलकर बनता हैं। रोग-प्रतिरोधक क्षमता को अंग्रेजी में इम्युन सिस्टम और इम्युनिटी पावर कहते हैं। रोग-प्रतिरोधक क्षमता को आयुर्वेद में ओज शक्ति कहते हैं। 

रोग-प्रतिरोधक क्षमता के प्रकार (Type of Immunity in Hindi)

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रोग-प्रतिरोधक क्षमता दो प्रकार के होते हैं, पहला इनेट रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Innate Immunity) और दूसरा अक्वायर्ड रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Acquired Immunity), इस रोग-प्रतिरोधक क्षमता को अडाप्टिव रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Adaptive Immunity) भी कहते हैं।  

इनेट रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Innate Immunity):-   

यह वह रोग-प्रतिरोधक क्षमता हैं जो हर कोई जन्म से ही लेकर पैदा होता हैं। हमलोग बाहर घूमते-फिरते, खेलते-कूदते और बात करते हर वक्त जीवाणु से घिरा होते हैं। ये जीवाणु खान-पान के माध्यम से भी हमारे शरीर के अंदर प्रवेश करता हैं। ये जीवाणु हमारे शरीर को नुकसान पहुँचाने से पहले यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता उसे मार डालता हैं। यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता हमारे शरीर के अंदर हमेशा रहता हैं। यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता तेजी से काम करता हैं, लेकिन लम्बे समय तक काम करता हैं। 

अक्वायर्ड रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Acquired Immunity):-

यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता इनेट रोग-प्रतिरोधक क्षमता के बाद आता हैं। यह वह रोग-प्रतिरोधक क्षमता हैं जो हमारा शरीर बचपन से बुढ़ापा तक बीमारी से लड़ता हैं। यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता बीमारी के अनुसार ऐंटीबॉडी तैयार करता हैं और उससे लड़ता हैं।

कमजोर रोग प्रतिरोधक के लक्षण

 

रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के लक्षण (Low Immunity Symptoms in Hindi)

  • अगर आपको बार-बार वायरल इंस्फेक्शन होता हैं जैसे:- सर्दी-खाँसी और जुकाम, यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने का संकेत हैं। अगर साल में 2 से 3 बार इस तरह की समस्या होती हैं तो, वह नॉर्मल माना जाता हैं।
  • अगर आपके शरीर में किसी भी प्रकार का घाव हैं और वह घाव भरने में बहुत अधिक समय लेता हैं तो, यह भी शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने का लक्षण हैं।
  • अगर किसी का साल में 2 से 3 बार से अधिक गला खराब होता हैं तो, यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने का निशानी हैं।
  • आप जब सुबह सो के उठते हैं और अगर आप फ्रेश, चुस्ती-फुर्ती और ऊर्जावान महसूस नहीं करते हैं तो और सोने का मन करता तो, यह भी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने का लक्षण हैं।
  • अगर किसी को पेट से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या हैं जैसे:- ज्यादा गैस बनना, दस्त की समस्या और लगातार कब्ज की समस्या बना रहता हैं तो, यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होने का लक्षण हैं।
  • अगर आपको लगातार कब्ज की समस्या बना रहता हैं तो, हमारा शरीर का कुल 70% रोग-प्रतिरोधक क्षमता उस कब्ज जो बाहर निकालने में लगा देता हैं, जिससे हमारा शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता की कमी होने लगती हैं। हमारे पेट के अंदर अच्छे बैक्टीरिया होता हैं जो ख़राब बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करता हैं।
  • अगर आपको सर्दी-खाँसी, किसी वायरल इंस्फेक्शन और बुखार के कारण, अगर साल में 2 से 3 बार से ज्यादा एंटीबायोटिक खाने की जरूरत पड़ती हैं तो, आप समझ जाइयें कि आपका रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हैं।
  • अगर आपको ज्यादा थकान, कमजोरी, आलस, सुस्ती और ऊर्जा लेवल कम महसूस होता हैं तो, यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने का लक्षण हैं। छोटे बच्चों में ग्रौंथ की समस्या हो