सूर्य नमस्कार कैसे करें | सूर्य नमस्कार के 18 फायदे

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आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिये बता रहें हैं कि, सूर्य नमस्कार क्या हैं और सूर्य नमस्कार करने का सही तरीका क्या हैं। (How to do Surya Namaskar step by step in Hindi) सूर्य नमस्कार के फायदे और नुकसान। सूर्य नमस्कार कब और कितनी बार करनी चाहिए। (Benefits of Surya Namaskar in Hindi) सूर्य नमस्कार के आसनों और मंत्रो के नाम।

सूर्य नमस्कार क्या हैं?

सूर्य नमस्कार एक प्राचीन योग क्रिया हैं। सूर्य नमस्कार एक मात्र ऐसा योग हैं, जिससे पुरे शरीर की कसरत हो जाती हैं। जिस प्रकार सूर्य हमें ऊर्जा देती हैं, उसी प्रकार सूर्य नमस्कार भी हमारे शरीर के तन, मन और धन को ऊर्जामान बनाता हैं। अगर सूर्य नमस्कार सही तरीके से किया जाएँ तो, इसके कई स्वास्थ लाभ हैं। सूर्य नमस्कार के नियमित सेवन से आप हमेशा रोग-मुक्त और ऊर्जावान रहेगें। सभी आसनों में सूर्य नमस्कार सर्वश्रेठ माना जाता हैं। सूर्य नमस्कार की विशेषता कभी कम नहीं हुई बल्कि कभी कम नहीं हुई।

सूर्य नमस्कार को 12 स्टेप में मंत्र के साथ किया जाता हैं। सूर्य नमस्कार के 1 राउण्ड में 12 आसन होता हैं और प्रत्येक राउण्ड को 12 बार किया जाता हैं। सूर्य नमस्कार के प्रत्येक स्टेप का अलग-अलग नाम हैं। सूर्य नमस्कार जिस स्टेप से शुरू होता हैं, उसी स्टेप के साथ ख़त्म भी होता हैं। सूर्य नमस्कार किसी भी उम्र के लोग कर सकते हैं।

शास्त्र के अनुसार कहा जाता हैं कि सूर्य नमस्कार के सभी आसान सूर्य देवता को समर्पित होता हैं। कहा यह भी जाता हैं कि, सूर्य नमस्कार के 12 स्टेप दिन के 12 घंटे और रात के 12 घंटे को दर्शाता हैं। सूर्य नमस्कार हमेशा सुबह सूर्य उदय के समय सूर्य की और मुँह करके करना चाहिए।

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सूर्य नमस्कार करने का सही तरीका

Table of Contents

आसान1:- सूर्य नमस्कार के पहले स्टेप में हमें दोनों पैरों को सटाकर थोड़ी पेल्विक मसल्स को ऊपर की और खींचते हुए, पूरी तरह सीधा खड़े होते हैं। अगर दोनों पैरों को सटाकर रखने में कोई परेशानी होती हैं तो आप दोनों पैरों के बीच में थोड़ी-सी अन्तर रख सकते हैं। उसके बाद दोनों हाथों को थोड़ी-सी फैलाते हुए, दिलों के बीच हाथ जोड़कर खड़े हो जाना हैं। पहले स्टेप में इतने तक की प्रकिया होती हैं। इस स्टेप को प्रणामासन योग कहते हैं।

आसान 2:- सूर्य नमस्कार के दूसरे स्टेप में जब आप नमस्ते की स्थिति में होते हैं, उसके बाद दोनों हाथों को आगें की और फैलाते हुए, जब हाथ कंधों के बराबर हो तब दोनों हाथों की उँगलियाँ खुली होनी चाहिए। उसके बाद साँस भरते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर से पीछे झुकते हुए पीछे ले जाना हैं। ध्यान रखें कि पीछे झुकते समय घुटनों को नहीं मुड़ना हैं। सिर्फ पीठ के बीच और ऊपर वालों हिस्सों को मुड़ना हैं। पीछे आप जितना झुक सकते हैं उतना ही झुके। इस स्टेप को हस्त उत्तानासन योग कहते हैं।

आसान 3:- सूर्य नमस्कार के तीसरे स्टेप में जब आप दूसरे स्टेप में पीछे झुकते हैं, उसके बाद उसी स्थिति में साँस छोड़ते हुए आगे की और झुकना हैं, ध्यान रखें कि जब आप आगे की और झुक रहें हैं तो आपको कमर को मोड़ते हुए आगे झुकना हैं। आपके कमर के बराबर पीठ, कंधा और हाथ सीधा रहेगा। इसके अलावें घुटना और जाँच को भी बिल्कुल सीधा रखना हैं। जब आप आगे झुक जाते हैं तो दोनों हाथों को जमीन पर रखना हैं जैसे कि दोनों हाथों की अंगूठा पैर की छोटी अंगलियों से टच और सिर को झुकाते हुए, सिर को घुटनों में सटाना हैं, यहाँ पर घुटनों को मोड़ना सकते हैं। शुरू-शुरू में सर घुटनों में नहीं टच होता हैं। इस स्टेप को हस्तपादासन योग कहते हैं।

आसान 4:- सूर्य नमस्कार के चौथे स्टेप में जब आप तीसरे स्टेप में सिर झुकाएँ होते हैं, उसके बाद आप साँस भरते हुए दाएँ पैर को पूरा पीछे की और ले जाना हैं और बाएँ पैर को बिल्कुल सीधा रखना हैं, उसके बाद गर्दन ऊपर की उठाना हैं फिर साँस छोड़ते हुए सामने झुकना हैं। इस स्टेप को अश्व संचालनासन योग कहते हैं।

आसान 5:- सूर्य नमस्कार के पांचवा स्टेप में जब आप चौथे स्टेप में साँस छोड़ते हुए सिर नीचे करते हैं, उसके बाद फिर साँस भरते बाएँ पैर को ठीक दाएँ पैर के बगल में ले जाना हैं। उसके बाद कमर और पीठ को सामान्य स्थिति में ऊपर उठाकर रखना हैं और दोनों हाथों को बिल्कुल टाइट और खड़ा रखना हैं। इस स्टेप को दंडासन योग कहते हैं।

आसान 6:- सूर्य