विटामिन D की कमी को कैसे पूरा करें | लक्षण और कारण क्या हैं?

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आज हम आपको बता रहें कि, विटामिन D की लक्षण, कारण और उपचार क्या हैं और विटामिन D (विटामिन D3) की कमी को पूरा कैसे करें। साथ ही विटामिन D की कमी से कौन-सा रोग होता हैं और विटामिन D के फायदे और नुकसान क्या हैं(How to Increase Vitamin D Levels Quickly in Hindi) हमारे शरीर में कई प्रकार के विटामिन पाएँ जाते हैं, उनमें से ही एक हैं विटामिन D, विटामिन D हमारे शरीर के लिए बहुत ही जरूरी पोषक-तत्व हैं। विटामिन D एक फैट-सॉल्युबल विटामिन हैं। विटामिन D हमारे शरीर में एक हार्मोन का काम करताहैं।

जिस प्रकार कैल्शियम का सीधा संबंध विटामिन D से होता हैं, उसी प्रकार विटामिन D का संबंध भी कैल्शियम के साथ होता हैं। विटामिन D कैल्शियम को पचाने में मदद करता हैं। विटामिन D के बिना अधूरा और कैल्शियम के बिना विटामिन D अधूरा माना जाता हैं। बहुत हद तक कैल्शियम और विटामिन D का काम एक ही होता हैं।

विटामिन D को सनशाइन विटामिन भी कहा जाता हैं। विटामिन D के कई श्रोत हैं लेकिन इसका मुख्य श्रोत धूप हैं। विटामिन D का बनना हमारे त्वचा के रंग पर निर्भर करती हैं। जब सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें हमारे त्वचा में पड़ती हैं तो, हमारे त्वचा में जो कोलेस्ट्रॉल होता हैं, उनसे मिलकर हमारी त्वचा विटामिन D बनाती हैं। जिन लोगों के त्वचा के रंग काला होता हैं, उन लोगों के त्वचा में मेलेनिन तत्व अधिक होता हैं जो विटामिन D को बनने से रोकता हैं।
 
विटामिन D एक मात्र ऐसा विटामिन हैं जो हमारी शरीर बनाती हैं। जिन लोगों का त्वचा का रंग गोरा होता हैं, उन लोगों में मेलेनिन तत्व बहुत कम पाया जाता हैं, जिससे उनकी त्वचा आसानी से विटामिन D बना लेती हैं। उदाहरण के लिए अगर गोरे त्वचा वाले जितना विटामिन D 15 मिनट हैं बना लेगी, उतना ही विटामिन D काले त्वचा वाले 50 मिनट में बनाएँगी। पूरी दुनिया में लगभग 1 अरब लोगों में विटामिन D की कमी पायी जाती हैं। 
 
विटामिन D के लिए हमें सूर्य की किरणें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि लगभग 90% विटामिन D हमें सूर्य की धूप से मिलती हैं और 10% विटामिन D हमें खान-पान के चीजों से मिलती हैं। खोज में पाया गया हैं कि भारत में 80% लोगों में विटामिन D की कमी पायी गई हैं। फिर भी भारत के लोगों को विटामिन D आसानी से मिल जाती हैं, लेकिन यूरोप देश के लोगों को विटामिन D के लिए 12 महीने विटामिन D की दवाइयाँ खानी पड़ती हैं, क्योंकि वहाँ अक्सर 5-6 महीने लगातार धूप नहीं निकलती हैं। इसलिए वहाँ के लोग ज्यादा गोरे होते हैं।
 
विटामिन D के दो भाग होते हैं, एक विटामिन D2 और दूसरा विटामिन D3, जो विटामिन D3 होता हैं, वहीं काम का होता हैं और हमें विटामिन D3 की ही जरूरत पड़ती हैं। हम भी अपना विटामिन D की जाँच करते हैं तो हम अपना विटामिन D3 का ही जाँच करते हैं। विटामिन D3 की जाँच थोड़ी मंहगी होती हैं। लगभग 1500 रुपया के आसपास।
 
विटामिन दो प्रकार का होता हैं, एक फैट-सॉल्युबल और दूसरा वाटर-सॉल्युबल। विटामिन D एक फैट-सॉल्युबल विटामिन हैं जो हमारे शरीर के अंदर जमा होता हैं और शरीर के अंदर ज्यादा देर तक रहता हैं और जो वाटर-सॉल्युबल विटामिन होता हैं, यह हमारे शरीर के अंदर ज्यादा देर तक जमा नहीं रहता हैं। यह घुलनशील होता हैं, जिससे यूरिन के माध्यम से बाहर निकल जाता हैं।
 
विटामिन D के साथ-साथ विटामिन A, E और K भी फैट-सॉल्युबल विटामिन हैं।
 
जो विटामिन D2 होता हैं, उसे हम एग्रो कैल्सिफेरोल (Ergo Calciferol) भी कहा जाता हैं। एग्रो कैल्सिफेरोल विटामिन पोधेदार खाद्य-पदार्थ में पाया जाता हैं जैसे:- मशरूम में सबसे ज्यादा पाया जाता हैं और जो विटामिन D3 होता हैं, उसे कॉले कैल्सिफेरोल कहते हैं जो मांसाहारी भोजन में पाया जाता हैं जैसे:- सैल्मन, कॉड मछली, रेड मांस और अंडे का पीले भाग में ज्यादा पाया जाता हैं।

विटामिन D कम होने के लक्षण क्या हैं? (Vitamin D Symptoms in Hindi)

हड्डियों में दर्द :-
आपके शरीर के जगह-जगह हड्डियों में दर्द होना, ये शरीर में विटामिन D कम होने का लक्षण हैं। जैसे:- कमर, कंधे और घुटनों में दर्द होना ये सारे लक्षण नजर आते हैं।
 
मांसपेशियों में दर्द होना:-
शरीर में विटामिन D कम होने से हमारी हाथ, पैर और जाँच की मांसपेशियां दर्द और कमर पड़ जाती हैं।
 
कमजोरी थकान होना:-
विटामिन D की कमी होने से अक्सर थकान, कमजोरी, और कम एनेर्जी का महसूस करना, इन सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। आप जब थोड़ी देर पैदल चलते हैं तो थक जाते हैं, जरा-सी घर की सीढ़ियों के ऊपर-नीचे करते हैं तो थक जाते हैं और जरा-सी मेहनत के काम करते हैं तो थक जाते हैं, ये सारे विटामिन D की कमी के लक्षण हैं।
 
रोग-प्रतिरोधक क्षमता:-
शरीर में विटामिन D की कमी से हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती हैं, जिससे हमलोगों को बार-बार सर्दी-खाँसी, जुकाम और इंस्फेक्शन हो जाता हैं और बार-बार बीमार भी पड़ते हैं।
 
दिल से जुड़ी समस्या:-
विटामिन D की कमी से हमारी दिल से जुड़ी समस्या होने का डर होता हैं, जिससे हमारी दिल बैलेंस बिगड जाती हैं जैसे:- अचानक दिल की धड़कने बढ़ जाना और ब्लड-प्रेशर का बढ़ जाना, ये सारी समस्या हो सकती हैं।
 
बालों का झड़ना:-
ऐसा माना जाता हैं कि बालों का झड़ने का मुख्य कारण पोषक-तत्व के कमी के कारण होता हैं। हमारे शरीर में कई ऐसे पोषक-तत्व होते हैं, जिसके कमी होने से बाल झड़ने की समस्या होती हैं। लेकिन खोज में पाया गया हैं कि विटामिन D की कमी से भी बाल झड़ने की समस्या होती हैं।
 
हड्डियों का फेक्चर:-
हड्डियों के मजबूती के लिए कैल्शियम के साथ-साथ विटामिन D की भी बहुत जरूरी पड़ती हैं। विटामिन D की कमी होने से छोटी-छोटी गलतियों के कारण हड्डियों का फेक्चर होता हैं जैसे:- पैदल चलते-चलते किसी कारणवश क्रेप हो जाना और हल्की-सी कहीं गिर जाने पर हड्डियों का फेक्चर होना जाना, ये विटामिन D कम होने का लक्षण हैं।
 
हड्डियों का फेक्चर होना, ये समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होता हैं। महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले विटामिन D की कमी ज्यादा होती हैं इसलिए महिलाओं को को उचित मात्रा में विटामिन D का सेवन करना चाहिए।
 
डिप्रेशन (उदास मन) का शिकार:-
उदास मन जिसे हम डिप्रेशन कहते हैं, यह विटामिन D कम होने का भी एक मुख्य लक्षण हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि जो 65% लोग जो डिप्रेशन के शिकार थे, उनके खून में विटामिन D की कमी पायी गई। ये समस्या ज्यादा बड़े उम्र वाले लोगों में होता हैं। ये उन देशों में ज्यादा पाया जाता हैं जहाँ ठण्ड ज्यादा होती हैं।
 
एंग्जायटी (चिंता) होना:-
विटामिन D की कमी से डिप्रेशन के साथ-साथ एंग्जायटी की भी समस्या होती हैं। ये समस्या ज्यादातर बड़े उम्र के लोगों में ज्यादा होता हैं। विटामिन D कम होने से शरीर में कैल्सीडियोल का स्तर कम हो जाता हैं, जिसके कारण डिप्रेशन और एंग्जायटी की समस्या होने का डर होता हैं। विटामिन D गर्भवती महिलाओं में चिंता और नींद कम आने की समस्याओं को कम करता हैं।
 
घाव का भरना:-
किसी ऑपरेशन या फिर किसी घाव का जख्म अगर जल्दी नहीं भर रही हो तो, ये भी शरीर में विटामिन D होने का लक्षण हैं।
 
मोटापा:-
अगर आप ज्यादा मोटे हैं। आपका वजन ज्यादा हैं तो, ये भी विटामिन D कम होने का लक्षण हैं। अक्सर मोटे लोगों में विटामिन D की कमी पायी गे हैं।

विटामिन D कमी होने के कारण (Vitamin D Deficiency Causes in Hindi)

  1. विटामिन D कम होने का मुख्य कारण माना जाता हैं, बाहर, धूप में नहीं निकलना। अगर यूरोप देशों की बात करें, जहाँ धूप कम निकलती हैं जैसे:- कनाडा, रूस, अमेरिका, आइसलैंड, वियतनाम और स्वीडन उन देशों में ठंड ज्यादा होती हैं। इन देशों में 4-5 महीने लगातार धूप नहीं निकलती हैं, जिसके कारण यहाँ के लोगों को धूप नहीं मिलने से अक्सर यहाँ के लोगों में विटामिन D की कमी पायी जाती हैं।
  2. इसलिए जब भी इन देशों में धूप निकलती हैं, वहाँ के लोग बिना कपड़ों के बिच में नजर आते हैं और धूप का आनंद लेते हैं। ये अपने शरीर में विटामिन D को जमा करते हैं। इन देशों में धूप की कमी के कारण यहाँ के खाने-पीने के चीजों में भी विटामिन D का मिश्रण होता हैं। यहाँ के लोगों को 12 महीने विटामिन D की दवाई लेनी पड़ती हैं।
  3. अगर विटामिन D की तुलना भारत के लोगों के साथ करें तो, भारत में भी 80% लोगों में विटामिन D की कमी पायी जाती हैं। लेकिन पहले ऐसा नहीं था क्योंकि भारत एक कृषि-प्रधान देश हैं, यहाँ के लोग बने थे बाहर खेतों में काम करने के लिए लेकिन समय एक साथ-साथ भारत देश भी भी एक उद्धोगिक देश बन गया, यहाँ भी बड़े-बड़े कारखाना, कंपनी और ऑफिस खुल गई, जिससे लोग धीरे-धीरे बाहर खेतों में मेहनत और मजदूरी करना बंद कर दिए।
  4. अब ज्यादातर लोग बंद कमरे, ऑफिस और कंपनी में बैठे-बैठे कंप्यूटर और लेपटॉप के सामने बेठकर काम करना पसंद करते हैं। जिससे हमारी त्वचा को धूप नहीं मिलती हैं , जिसके कारण शरीर में विटामिन D की कमी होने लगी हैं। अगर बाहर जाते भी हैं तो, कपड़े से पूरा चेहरे को ढक लेते हैं या फिर सनक्रीम का इस्तेमाल करते हैं, जिसके कारण हमारी त्वचा विटामिन D नहीं बना पाती हैं।
  5. पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में विटामिन D की कमी ज्यादा पायी जाती हैं, क्योंकि पुरुष लोग महिलाओं के मुकाबले ज्यादा घर से बाहर जाते हैं और औरत लोग घर पर ही ज्यादा रहते हैं। यह भी एक कारण हैं विटामिन D कम होने का।
  6. अगर आप धूप का सेवन नहीं करते हैं तो उससे भी शरीर में विटामिन D की कमी पायी जाती हैं, इसलिए सुबह कम-से-कम कपड़ों में सप्ताह में 3 दिन जरूर 15 से 20 मिनट धूप में जरूर बैठे। आगे आपकी त्वचा का रंग डार्क हैं तो आप लगभग धूप में 1 घंटा बैठे।
  7. अगर आप खाने में विटामिन D युक्त भोजन को शामिल नहीं करते हैं तो, उससे भी हमारे शरीर में विटामिन D की कमी हो जाती हैं।
  8. आपको लीवर, किडनी, हाइपरपैराथायरॉयडिज्म और थायराइड से जुड़ी आपको किसी भी प्रकार की समस्या हैं तो, उससे भी शरीर में विटामिन D की कमी हो जाती हैं।
  9. अगर आप लम्बे समय से किसी भी प्रकार की दवाई का सेवन कर रहें हैं तो, उससे भी शरीर में विटामिन D की कमी हो जाती हैं।
  10. आप ऐसे जगहों में रहते हैं, जहाँ धूप कम निकलती हैं तो उस कारण भी हमारे शरीर में विटामिन D की कमी हो जाती हैं।
  11. अगर आप ज्यादा देर तक घर के अंदर ही रहते हैं, बाहर नहीं निकलते हैं उससे भी विटामिन D की कमी हो जाती हैं।
  12. अगर मोटापा के शिकार हैं तो उससे भी आपके शरीर में विटामिन D की कमी हो सकती हैं।
  13. जो लोग अधिक नशे का सेवन करते हैं तो, उन लोगों में भी विटामिन D की कमी पायी जाती हैं।
  14. अगर आप उस क्षेत्र में रहते हैं जहाँ प्रदूषण बहुत ज्यादा हैं तो इस कारण भी आपके शरीर में विटामिन D की कमी हो जाती हैं, क्योंकि सूर्य की अल्ट्रावायलट किरणें प्रदूषण वाले क्षेत्र में आसानी से नहीं पहुँच पाती हैं।
  15. अगर आपके आंतों से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या हैं तो, जिसके कारण आपकी आंतें ठीक ढंग से काम नहीं करती हैं, आप जो भी कुछ खाते हैं यह शरीर में ठीक से लगता नहीं हैं तो, उससे भी शरीर में विटामिन D की कमी हो जाती हैं।
  16. ज्यादा उम्र के लोगों में भी विटामिन D की कमी हो जाती हैं क्योंकि बढ़ते उम्र के साथ हमारा शरीर विटामिन D को ठीक ढंग से अवशोषण नहीं कर पाती हैं।
  17. गर्भपाती महिलाओं में विटामिन D की जरूरत बढ़ जाती हैं, इसके लिए जरूरी आहार और धूप का सेवन बहुत जरूरी होता हैं, इससे जन्म से किसी बीमारी और वजन कम प्रसव के समय अधिक खून के बहाव को कम करता हैं, हालांकि इससे बच्चे का जन्म समय से पहले होने का भी खतरा होता हैं।
  18. मा के दूध में विटामिन D की कमी होती हैं, इसलिए छोटे शिशुओं में विटामिन D की कमी का खतरा बना रहता हैं। इसलिए एक महीने पहले स्तनपान कराने वाले माँ को विटामिन D की दवाई जरूरी होती हैं। 

विटामिन D की कमी को पूरा कैसे करें? (Vitamin D Deficiency Treatment in Hindi)

अपने शरीर में हम विटामिन D की पूर्ति तीन तरीके से करते हैं। पहला सूर्य की धूप से, दूसरा विटामिन D युक्त भोजन से और तीसरा विटामिन D की दवाई से:-
 
धूप लेने का सही तरीका:-
 
विटामिन D की सेवन के लिए हमें धूप कम-से-कम कपड़ो में धूप का सेवन करना चाहिए क्योंकि जिन जगहों में कपड़े होते हैं, उन जगहों में सूर्य की अल्ट्रावायलट किरणें नहीं पहुँच सकती हैं। खासकर महिलाएँ सूती के पतली साड़ी पहनकर धूप में बैठना चाहिए। धूप को नाभि और पीठ में लेना चाहिए। धूप में बैठने के बाद अगर पसीना आ जाएँ तो समझ लीजिये कि धूप ने अपना काम कर दिया हैं। अगर उसके बाद पसीना आएँ तो आप देखेगें की पेशाब का रंग पीला हैं, यह एक तरह से आपके शरीर को फ़िल्टर करने का काम करता हैं। इस प्रक्रिया को सन बेदिंग भी कहते हैं।
 
नाभि और पीठ के साथ-साथ अगर आपको लगें कि हमकों इस जगह में ज्यादा समस्या हैं तो, उस जगह में भी धूप ज्यादा दिखाएँ। जैसे:- अगर आपको पाचन, गैस और एसिडिटी की समस्या हैं तो ज्यादा धूप पेट में लगाएँ। अगर सर्दी-खाँसी और बलगम की समस्या हैं तो चेहरे में धूप लगाएँ और घुटनों में किसी भी प्रकार समस्या हैं तो फिर घुटनों में धूप दिखाएँ।
 
अगर आपको धूप में बैठने से आपके त्वचा का रंग काला हो जाता हैं या फिर किसी भी प्रकार की समस्या होती हैं तो आप धूप में बैठने से पहले एक गिलास पानी जरूर पीयें या फिर संतरा जैसे फल का भी सेवन कर सकते हैं।
 
सन चार्ज वाटर (नेचुरल तरीका):-
विटामिन D के लिए सन चार्ज वाटर एक अच्छा श्रोत हैं, इसे लिविंग वाटर भी कहा जाता हैं। आयुर्वेद में अलग-अलग रंगो के बोतल में सन चार्ज वाटर पीना एक अच्छा मेडिसीन माना गया हैं।
 
सन चार्ज वाटर बनाने के लिए आप एक काँच के बोतल में 2 से 3 बोतल पानी लें, उसे धूप में 5 से 7 घंटे के लिए छोड़ दें और सूर्य अस्त के समय इस बोतल को उठा लें। ऐसे प्लास्टिक और फ्रीज़ में नहीं रहें, आप ऐसे घड़ा में रख सकते हैं और अगले 24 घंटे तक इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल रोज नहीं तो हप्ते में 2-3 दिन जरूर करें। इसका इस्तेमाल फेश में लगाने के लिए भी कर सकते हैं और इससे ऑंखें धोना बहुत अच्छा होता हैं।
 
धूप में बैठने का सही समय:-
सूर्य के धूप में हर वक्त विटामिन D पाया जाता हैं। ऐसा नहीं हैं कि आप अगर दोपहर का धूप में बैठते हैं तो विटामिन D नहीं मिलेगी। विटामिन D सुबह, दोपहर और शाम सभी समय के धूप में मिलता हैं। लेकिन सुबह के धूप अच्छा माना जाता हैं और उतनी कड़वी नहीं होती हैं।
 
अगर आप ठंडियों में धूप का सेवन करते हैं तो सुबह के साथ-साथ दोपहर का धूप भी अच्छा माना जाता हैं और अगर गर्मियों में धूप का सेवन करते हैं तो सुबह-सुबह 9-10 बजे का धूप अच्छा माना जाता हैं।
 
धूप में कितनी देर बैठना चाहिए?
धूप में कितनी देर बैठना हैं, यह हमारी त्वचा के रंग में निर्भर करती हैं। अगर आपकी त्वचा का रंग गोरा हैं तो आप 15 से 20 मिनट तक धूप में बैठे। 10 मिनट नाभि की और होकर धूप में बैठे फिर 10 मिनट धूप की और होकर पीठ और बैठे। अगर आपकी त्वचा का काला (डार्क) हैं तो आप धूप में लगभग 1 घंटा तक बैठे। धूप में बैठने के बाद पसीना आ जाएँ तो समझ जाइयें कि धूप ने अपना काम कर दिया हैं।
भोजन के माध्यम से विटामिन D की कमी को पूरा करना
 
खाने-पीने के कई ऐसे चीजें हैं जिसमें विटामिन D भरपूर मात्रा पाया जाता हैं। अगर खाने-पीने के चीजों की बात करें तो, शाकाहारी भोजन के मुकाबले मांसाहारी भोजन में ज्यादा विटामिन D पाया जाता हैं। इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी हैं कि, आप जो विटामिन D युक्त भोजन कर रहें, उसमें सूर्य की धूप कितनी पड़ रही हैं।
 
मांसाहारी भोजन:- अगर मांसाहारी भोजन की बात करें तो फैटी फिश में सबसे ज्यादा विटामिन D पाया जाता हैं। फैटी फिश वह मछली हैं जिसमें चर्बी की मात्रा अधिक होती हैं। जैसे:- सल्मोन, टूना (रेहु, कॉड) मछली में विटामिन D ज्यादा मात्रा में पाया जाता हैं। इसके साथ रेड मीट (मटन), बीफ लीवर और अंडे के पीले भाग में अच्छी मात्रा में विटामिन D पाया जाता हैं। विटामिन D के लिए कॉड लीवर आयल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह तेल कॉड मछली के लीवर से बनाया जाता हैं।
 
शाकाहारी भोजन:- अगर शाकाहारी भोजन की बात करें तो दूध, दही, पनीर, चीज, टोफू, योगर्ट और देशी गाय के घी में अच्छी मात्रा में विटामिन D पाया जाता हैं। इसके साथ-साथ मशरूम और संतरा जूस में विटामिन D भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं, लेकिन सिर्फ खान-पान से हमारी शरीर में विटामिन D की पूरी नहीं हो सकती हैं। इसके लिए हमें जरूरत मात्रा में धूप का सेवन बहुत जरूरी होता हैं।
दवाइयों से विटामिन D की पूर्ति करना
 
विटामिन D की दवाइयाँ लेने से पहले विटामिन D की जाँच और डॉक्टर की सलाह लेनी बहुत जरूरी होती हैं। बिना किसी डॉक्टर की सलाह से हमें किसी भी प्रकार की दवाइयों का सेवन नहीं करनी चाहिए नहीं तो इसका आपको नुकसान भी कर सकता हैं।
 
दवाइयों के विटामिन D की कमी को पूरा करना , यह हमारे लिए अंतिम विकल्प बचता हैं। हम हम भोजन और धूप से विटामिन D की पूर्ति नहीं कर पाते हैं, तब हमें विटामिन D की दवाई लेनी की जरूरत पड़ती हैं।
 
बाजार में विटामिन D के दवाई कई रूप में उपलब्ध हैं जैसे:- टेबलेट, कैप्सूल, पाउडर, लिक्विड (बोतल) और इंजेक्शन मिलता हैं। उन सभी में जो टेबलेट हैं, वह सबसे पुराना रूप और यह सबसे सस्ता भी होता हैं। जिन लोगों जो गैस और एसिडिटी की समस्या होती हैं, उन लोगों को विटामिन D की टेबलेट की लेने की सलाह नहीं दी जाती हैं। विटामिन D की दवाई खाने के साथ लेने की सलाह दी जाती हैं। खासकर तलेदार भोजन के साथ खाने की सलाह दी जाती हैं। 
 
विटामिन D की जो पाउडर होती हैं, उसे दूध या फिर हल्की गर्म पानी के साथ लेने की सलाह की जाती हैं और विटामिन D के जो इंजेक्शन होता हैं, यह उन लोगों को देने की सलाह की जाती हैं, जिसे लीवर, किडनी, और आंतों से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या हैं। लेकिन आपके शरीर को किस तरह से जरूरत हैं, इसकी पूरी जानकारी आपको डॉक्टर की सलाह से मिलेगी।
 
विटामिन D की जो टेबलेट और कैप्सूल होती हैं, उसे रोज लेनी की सलाह की जाती हैं, इसके पाउडर को हप्ते में एक दिन लेनी की सलाह की जाती हैं और इसके इंजेक्शन कोई एक महीने का होता हैं तो कोई उससे ज्यादा महीने का।
 
विटामिन D की दवा लेने का कोई निश्चित समय नहीं होता हैं। आप सुबह, दोपहर और शाम कभी भी लें सकते हैं। आप अपने अनुसार कोई निश्चित समय पर लें सकते हैं।
विटामिन D पाएँ जाने वाले पोषक-तत्व (Vitamin S Nutrients in Hindi)
 
पोषक-तत्व मात्रा (100 ग्राम)
सल्मोन मछली
1000 इंटरनेशनल यूनिट (IU)
कॉड लिवर आयल
8400 IU
मैकेरल मछली
350 IU
सार्डिन मछली190 IU
अंडे का पीला भाग
215 IU
मटन 50 IU
बीफ लीवर 48 IU
मशरूम
450 IU
गाय की दूध
130 (250 ग्राम) IU
इसके साथ-साथ कम मात्रा में पाएँ जाने पोषक-तत्व हैं। वह हैं, दही, पनीर, चीज, टोफू, योगर्ट और देशी गाय के घी।

 

  

हमारे शरीर को रोज विटामिन D की कितनी जरूरत पड़ती हैं?

हमारे शरीर को कम-से-कम रोज 600 से 800 इंटरनेशनल यूनिट (IU) लेनी की जरूरत पड़ती हैं और अधिक-से-अधिक 4000 IU तक लें सकते हैं। 
 
0 से 1 साल तक – 400 IU
1 से 70 साल तक – 600 IU
गर्भवती महिला – 600 IU
70 से अधिक – 800 IU
 
सुरक्षित मात्रा:- अधिक-से-अधिक एक दिन में कितना तक लें सकते हैं। 
 
0 से 1 साल तक – 1500 IU
1 से 3 साल तक – 2500 IU
4 से 8 साल तक – 3000 IU
9 से अधिक – 4000 IU
 
अगर आप एक दिन में 10,000 IU तक लें लेते हैं तो, फिर आपको नुकसान करेगा।
 

विटामिन D के फायदे (Benefit of Vitamin D in Hindi)

  • विटामिन D हमारे हड्डियों, मांसपेशियों और दाँत को मजबूत बनाएँ रखता हैं। 
  • विटामिन D हमारे शरीर में एक हार्मोन का काम करता हैं। 
  • विटामिन D हमे कई इन्फेक्शन और सर्दी-खाँसी जैसी समस्याओं से बचाता हैं। 
  • विटामिन D हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं। 
  • विटामिन D हमें कई प्रकार के कैंसर से बचाता हैं। 
  • विटामिन D हमें तनाव और डिप्रेशन से बचाता हैं। 
  • विटामिन D दिमाग के लिए भी अच्छा होता हैं। 
  • विटामिन D हमें कमजोरी, थकान और कई बीमारियों से बचाता हैं। 
  • विटामिन D टाइप 2 मधुमेह से बचाता हैं। 
  • विटामिन D हमारी ब्लड-प्रेशर क नियंत्रण रखने में मदद करता हैं। 
  • विटामिन D हमें कोरोना जैसे वायरस से भी बचाता हैं। 
  • विटामिन D हमे HIV एड्स जैसे संक्रमण से लड़ने में मदद करता हैं।  

विटामिन D की कमी के नुकसान

  • विटामिन D कमी होने से हमारी हड्डियाँ और मांसपेशियाँ दोनों कमजोर हो जाती हैं।
  • विटामिन D की कमी से कम बार-बार बीमार भी पड़ते हैं।
  • विटामिन D की कमी होने से कई प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ जाता हैं।
  • विटामिन D की कमी से लोग डिप्रेशन का भी शिकार हो जाते हैं।
  • विटामिन D की कमी होने से बाल झड़ने की भी समस्या होती हैं।
  • विटामिन D की कमी होने से के प्रकार के इंस्फेक्शन भी होता हैं।
  • विटामिन D की कमी से मोटापा भी बढ़ता हैं।
  • विटामिन D की कमी से उँगलियाँ अकड़ जाती हैं।

हमारे शरीर में विटामिन D की नॉर्मल मात्रा कितना होना चाहिए?

अगर विटामिन D जाँच में 20 से 40 नेनोग्राम/मिलीग्राम (ng/ml) के बीच विटामिन D की मात्रा पाया जाता हैं तो यह एक सामान्य मात्रा की गिनती में माना जाता हैं। अगर 25 से 50 ng/ml के बीच विटामिन D मात्रा पायी जाती हैं तो, यह एक हेल्थ सलाहकार के अनुसार बहुत अच्छा और स्वस्थ माना जाता हैं। 
 
अगर 50 से 100 ng/ml के बीच विटामिन D की मात्रा पायी जाती हैं तो, यह हमारे शरीर को ब्रेस्ट कैंसर, कोलन कैंसर और कई ऐसे कैंसर और संक्रमण से बचाती हैं और अगर शरीर में विटामिन D की मात्रा 15 ng/ml से कम हैं तो, यह विटामिन D की कमी की निशानी हैं, इसके लिए आपको विटामिन D की उपचार की जरूरत हैं। 
 
अगर शरीर में विटामिन D की मात्रा 150 ng/ml से अधिक हैं तो, यह विटामिन D के ओवरडोज़ माना जाता हैं, इससे आपको उल्टी, लिवर और किडनी से जुड़ी समय, स्टोन और पाइजन बनने समस्या हो सकती हैं। 

विटामिन D के ओवरडोज़ के नुकसान (Side Effects of Vitamin D in Hindi)

विटामिन D की जो दवाइयाँ होती हैं, वह बहुत सुरक्षित होती हैं, अगर इसको जरूरत मात्रा में लिया जाए तो, इससे कोई नुकसान नहीं होती हैं। अगर हम विटामिन D की दवाइयाँ अधिक मात्रा में लेते हैं या फिर अधिक लम्बे समय तक लेते हैं तो फिर इससे नुकसान हो सकती हैं, जिसे हम हाइपरविटमिनोसिस (Hypervitaminosis) कहते हैं। जिसके कारण किडनी की समस्या, उलटी और गैस जैसी समस्या हो सकती हैं।

विटामिन D की कमी से होने वाले रोग 

अगर छोटे बच्चे में विटामिन D की कमी हो जाती हैं, जिससे हड्डियों कमजोर और नरम हो जाती हैं, जिसके कारण मुड़ भी जाती हैं। बच्चे में इन समस्याओं के कारण रोग हो जाते है, रिकेट्स (Reckets) कहते हैं। बड़ों में विटामिन D की कमी से होने रोग होते हैं, उसे हम ओस्टियोमलेशिया (Osteomalacia) कहते हैं। जिसमें हड्डियाँ बहुत कमजोर हो जाती हैं और जो कैल्शियम के कारण हड्डियाँ कमजोर होती हैं, उसे हम ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) कहते हैं।  

बच्चों में विटामिन D कम होने के कारण 

बच्चों में विटामिन D की कमी होने का मुख्य कारण हैं, घर के अंदर खेलना। आजकल लाइफस्टाइल के अनुसार ज्यादातर बच्चे घंटो मोबाइल में गेम खेलते हैं बाहर कोई दूसरा गेम नहीं खेलते, जिससे कारण धूप जरूरी मात्रा में नहीं मिलता और मोबाइल से रेडिसन का खतरा भी रहता हैं। 

FAQ. (विटामिन D से जुड़ी सवाल और जबाब)

Q. विटामिन D शरीर में कितना होना चाहिए?
Ans:- हमारे शरीर में विटामिन D नॉर्मल 20 से 40 नेनोग्राम/मिलीग्राम (ng/ml) होना चाहिए। 
 
Q. विटामिन D के लिए क्या खाना चाहिए?
Ans:- विटामिन D के लिए हमें सल्मोन, टूना (रेहु, कॉड) मछली, रेड मीट (मटन), बीफ लीवर कॉड लीवर आयल और अंडे के पीले भाग खाना चाहिए। शाकाहारी भोजन में दूध, दही, पनीर, चीज, टोफू, योगर्ट, देशी गाय के घी, मशरूम और संतरा जूस में विटामिन D अच्छे मात्रा में पाया जाता हैं। 
 
Q. विटामिन D कम होने पर क्या करें?
Ans:- विटामिन D कम होने पर सप्ताह में कम-से-कम 3 दिन 20 से 25 मिनट धूप का सेवन करें और उसके बाद विटामिन D युक्त भोजन का सेवन करें। 
 
Q. विटामिन D की कमी के कारण कौन-कौन से रोग होते हैं?
Ans:- विटामिन D की कमी से बड़ों में ओस्टियोमलेशिया (Osteomalacia) रोग होते हैं और बच्चों में रिकेट्स (Reckets) नाम का रोग होते हैं। 
 
Q. विटामिन D की कमी से क्या प्रॉब्लम होती हैं?
Ans:- विटामिन D कमी से हड्डियाँ और मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं। उसके बाद थकान, कमजोरी, रोग-प्रतिरोधक क्षमता होना, बार-बार इंस्फेक्शन होना, बाल झड़ना, हड्डियों का फेक्चर, एंग्जायटी, डिप्रेशन समस्या भी होती हैं।  
 
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