आज हम इस पोस्ट के जरिये बता रहें हैं कि, ओमीक्रॉन के बारे में कि, ओमीक्रॉन का क्या लक्षण, कारण और उपचार क्या हैं और ओमीक्रॉन का घर पर इलाज कैसे करें? (Omicron Treatment at Home in Hindi) ओमीक्रॉन कोरोना वायरस का ही अगला रूप हैं। कोरोना वायरस के इस वेरियंट का कोड नाम हैं, B.1.1.529 और जो इससे पहले नया कोरोना वायरस आया था, उसका कोड नाम था, B.1.617.2 दिया था।
WHO ने कोरोना के इस नए वेरियंट को वेरियंट ऑफ़ कंसर्न (Concern) की श्रेणी में रखा हैं। कंसर्न का मतलब हैं कि, ज्यादा तेजी से फैलना, खतरा और देश में आपातकालीन की स्थिति ला सकती हैं और जो न्य कोरोना वायरस था, उसे डेल्टा वेरियंट के नाम से जाना जाता हैं, इसे वेरियंट ऑफ़ इंट्रेंस की श्रेणी में रखा गया था, जिसका मतलब हैं कि, कम खतरा और आसानी से रिकवरी होना।
- ओमीक्रॉन के पहला लक्षण हैं, सिर में दर्द होना।
- ओमीक्रॉन का दूसरा लक्षण हैं, हल्की सर्दी-खाँसी और गले में खरास होना जैसे समस्या हो सकती हैं।
- ओमीक्रॉन का तीसरा लक्षण हैं, हल्की बुखार होना। बुखार में 101 डिग्री तक टेम्प्रेचर जा सकता हैं।
- ओमीक्रॉन का जो लक्षण हैं, वह हैं कमजोरी, थकान और सुस्ती जैसी समस्या होना।
अगर आपको इन सभी लक्षणों की तरह लगें तो, अपने आपको औरों से अलग रखना चाहिए। दूसरों से अलग रखें और अपने आपको होम आइसोलेशन करें।
ओमीक्रॉन वायरस की कुछ महत्वपूर्ण बातें (Omicron Important Points in Hindi)
ओमीक्रॉन को वेरियंट ऑफ़ कंसर्न की श्रेणी में रखा गया हैं, जो वायरस को वेरियंट ऑफ़ कंसर्न की श्रेणी में रखा जाता हैं, वह ज्यादा खतरनाक माना जाता हैं, लेकिन ओमीक्रॉन में अबतक ऐसा असर देखने को नहीं मिला हैं।
ओमीक्रॉन वायरस की यह खास बात हैं कि, इस वायरस का लक्षण 10 से 15 प्रतिशत लोगों में ही दिखाई देता हैं। बाकि 85% लोगों में इस वायरस का लक्षण ठीक से दिखाई नहीं देता हैं।
ओमीक्रॉन वायरस की खास बात यह भी हैं कि, यह वायरस बहुत तेजी से फैलता हैं, लेकिन सभी लोगों को ओमीक्रॉन के कारण आइसोलेशन करने की जरूरत नहीं पड़ती हैं और ठीक भी जल्दी हो जाता हैं। ओमीक्रॉन वेरियंट, नया कोरोना वायरस के मुकाबले कम घातक सिद्ध हुआ हैं।
ओमीक्रॉन वायरस से इफेक्ट होने के मुख्य कारण क्या हैं?
- ओमीक्रॉन वायरस से इफेक्ट होने का मुख्य कारण माना जाता हैं कि, लोगों के संपर्क में आना।
- बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग नहीं करना, ये भी ओमीक्रॉन वायरस से इफेक्ट होने का मुख्य कारण माना जाता हैं।
- ओमीक्रॉन वायरस से इफेक्ट होने का कारण यह भी माना जाता हैं कि, ज्यादा भीड़-भाड़ वाले जगहों में जाना।
- ज्यादा एक जगह-से-दूसरे सफर करना, यह भी ओमीक्रॉन से इफेक्ट होने का कारण माना जाता हैं।
- साफ-सफाई में ध्यान नहीं देना, बार-बार हाथ नहीं होना और सेनिटाइज़र का इस्तेमाल नहीं करना।
ओमीक्रॉन वायरस के क्या उपचार हैं? (Omicron Treatment Guidelines in Hindi)
ओमीक्रॉन डेल्टा वेरिएंट के कोरोना वायरस का ही अगला रूप हैं, जो उपचार हम नया कोरोना के लिए करते थे, ठीक उसी तरह इस ओमीक्रॉन वायरस का भी उपचार करेंगें।
अगर आपको ओमीक्रॉन के लक्षण दिखाई देते और जाँच में ओमीक्रॉन पॉजिटिव आता हैं तो, आपको डरने की बात नहीं हैं। ओमीक्रॉन वायरस एक मामूली संक्रमण हैं, इसमें 85% लोग घर पर ही ठीक हो जाते हैं, 10 से 15 प्रतिशत लोगों को ही हॉस्पिटल जाने की जरूरत पड़ती हैं।
मान लिया कि, अगर आपको ओमीक्रॉन पॉजिटिव हो गया तो, आप डॉक्टर के संपर्क में रहें और उसमें हर बातें की सलाह लेते हैं। हर प्रकार की समस्या के लिए दवाई उपलब्ध हैं। किसी भी प्रकार की दवाई का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह ने नहीं करना चाहिए। ओमीक्रॉन में बुखार की समस्या के लिए दवाई पेरासिटामोल डोलो 650mg बहुत ही कारगर साबित हो रहा हैं।
बाकि अपने शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना हैं और इस वायरस का सामना डटकर करना हैं। दो गज दूरी बना कर रखना हैं। बाहर निकलने पर मास्क का इस्तेमाल जरूर करना हैं। समय-समय पर हाथ धोते रहना और सेनिटाइज़र का इस्तेमाल करते रहना हैं। हमे ज्यादा भीड़-भाड़ वाले जगहों में जाने से बचना हैं।
ओमीक्रॉन से बचने के लिए क्या खाएँ? (Omicron Food to Eat in Hindi)
अगर आपको ओमीक्रॉन हो गया हैं या फिर आपको ओमीक्रॉन के किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई दें रहा हैं तो, उन चीजों का सेवन जरूर करें जो शरीर का रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं।
ओमीक्रॉन हो चाहें कोरोना इनसे बचने के लिए आप ज्यादातर प्लांट-फूड का इस्तेमाल करें जैसे:- हरे-पत्तेदार साग-सब्जियाँ, इनको सलाद के रूप में कच्चा खाना ज्यादा फायदेमंद होता हैं। ये हमारे शरीर के रोग-प्रतिरोधक बढ़ाने काफी मदद करती हैं। डॉक्टरों का कहना हैं कि, जो लोग निरंतर रूप से प्लांट-फूड का इस्तेमाल करते हैं, वह लोग गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ते हैं। ऐसे लोग वायरस की चपेट में आने का खतरा 15% कम होता हैं और हॉस्पिटल में भर्ती करने की रिस्क 40% कम होता हैं।
हरे-पत्तेदार साग-सब्जियों में विटामिन A, विटामिन B6, B12 होता हैं और फलों से विटामिन A,C मिलता हैं, इसके साथ-साथ ड्राई-फ्रूट से विटामिन E, आयरन और वसा होता हैं जो शरीर का रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता हैं और शरीर को वायरस से लड़ने में मदद करता हैं। ज्यादातर प्रोटीन और कैलरीज युक्त भोजन का सेवन करें।
फलों में खट्टे फल का सेवन जरूर करें जैसे:- संतरा, मोस्समी, और कीवी जैसे फल। खट्टे फलों में व