रोग-प्रतिरोधक क्या हैं?

रोग-प्रतिरोधक  क्षमता हमारे शरीर के वह सुरक्षा चक्र हैं जो बाहरी किसी इंस्फेक्शन,  बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करता हैं।

कमजोर रोग-प्रतिरोधक  क्षमता होने के लक्षण

बार-बार वायरल इंस्फेक्शन होता हैं जैसे:- सर्दी-खाँसी और जुकाम, यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने का संकेत हैं। अगर आपको ज्यादा थकान, कमजोरी, आलस, सुस्ती और ऊर्जा लेवल कम महसूस होता हैं तो, यह रोग-प्रतिरोधक  क्षमता कमजोर होने का लक्षण हैं।

रोग-प्रतिरोधक  क्षमता कैसे बढ़ाएँ

अपने शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता आप अच्छी खानपान, अच्छी लाइफस्टाइल, योग-प्राणायाम और नियमित धूप के सेवन से पूरा कर सकते हैं।

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रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कौन-सा फल खाएँ?

सारे खट्टे फलों में विटामिन C भरपूर मात्रा में पाया  जाता हैं। जैसे:- संतरा, अनानास, आंवला, मौसम्बी, कीवी, टमाटर, आम,  निम्बू, अमरूद, मटर, लाल और हरी शिमला मिर्च, इसके साथ-साथ पपीता, गाजर, सेब, काला  अंगूर, चुक्कंदर, अनार, शकरकंद, एल्डरबेरी में भी पाया जाता हैं।

रोग-प्रतिरोधक  क्षमता बढ़ाने के लिए घरेलू उपाय

गर्म  पानी में तुलसी का पत्ता, काली मिर्च, अदरक, लहसून, दालचीनी और उसमें शहद  डालकर काढ़ा का सेवन करना इम्युनिटी के लिए बहुत अच्छा होता हैं। हल्दी वाली  दूध भी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बहुत कारगर होता हैं।

बच्चों की इम्युनिटी कैसे बढ़ाएँ?

बच्चों का रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए मीठा और बाहर का चीज का कम खाने देना और समय पर सोने के लिए तैयार करना। विटामिन C के भरपूर फल, सब्जी  और उसके जूस का सेवन करवाना। शिशु बच्चों माँ का दूध और समय पर टिका जरूरी हैं।

रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के योग-प्राणायाम

कई ऐसे योग और प्राणायाम हैं जो हमारे रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैं जैसे:- अंजनिआसन, परिवृत जानूशीर्षासन, अधोमुख श्रवानासन, बद्धकोणासन, तितली आसान, विपरीत करनी, कपालभाति प्राणायाम और अनुलोम विलोम।