भोजन करने का सही तरीका और सही समय, पूरी जानकारी

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भोजन का परिचय:-

आज हम इस पोस्ट के माध्यम से बता रहें हैं कि, खाना खाने का सही तरीका और समय क्या हैं? भोजन हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक खाद्य-पदार्थ होता हैं। (Right way to Eat in Hindi) हमारे शरीर के सभी जरूरी पोषक तत्व भोजन से ही मिलते हैं। समय पर और सही मात्रा में भोजन करना अतिआवश्यक होता हैं। अगर हमलोग सही समय और सही मात्रा में भोजन करते हैं तो, हमारे शरीर में पोषक तत्व की कमी नहीं होती हैं। जिसके कारण हमलोग बीमार नहीं पड़ते हैं और बाहर से मल्टी-विटामिन्स लेने जरूरत नहीं पड़ती हैं। 
 
 
भोजन अगर सही मात्रा और सही समय पर नहीं किया जाएँ तो हमलोग कई प्रकार का बीमार का शिकार भी हो सकते हैं। कई बार हमलोग सादी-पार्टी जाते हैं तो अच्छा खाना के चक्कर में हमलोग जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं, तभी तो फर्क नहीं पड़ता हैं, खाने के बाद फर्क पड़ता हैं। हमारा शरीर कभी-भी कुछ खाने के लिए नहीं होता हैं, इसलिए जब पूरी तरह भूख लगे तभी खाना चाहिए। भोजन के बिना हमारी जिंदगी की ज्यादा दिन तक नहीं चल सकती हैं।

भोजन करने का सही तरीका:-

भोजन करने से पहले अच्छे से हाथ और पैर जरूर धोएँ। भोजन हमेशा जमीन पर बैठकर ही करें। भोजन हमेशा स्नान करने के बाद ही करना चाहिए, अगर बिना स्नान किये भोजन कर लिए तो भोजन करने के 3 घंटा बाद ही स्नान करना चाहिए। खाना खाने में कम-से-कम 20 मिनट का समय जरूर लगाएँ। एक कौर खाएँ खाना को कम-से-कम 32 बार चबाकर ही अंदर करें,नहीं तो कम-से-कम 24 बार जरूर चबाएँ। छोटी-छोटी कौर मुँह में लें। 
 
भोजन करते समय मोबाइल, टीवी, और लेपटॉप का इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए, आपका पूरा ध्यान खाने पर होना चाहिए। भोजन करते समय मोबाइल या सामने किसी से बातें नहीं करनी चाहिए। भोजन हमेशा पूरब और उत्तर दिशा बैठकर करना चाहिए। जिन लोगों का माता-पिता का देहांत हो गया हैं, वह लोग दक्षिण दिशा की और बैठकर भोजन कर सकते हैं। पक्षिम दिशा में बैठकर कभी-भी भोजन नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से हमारे जीवन में कई तरह की समस्या आती हैं। 

भोजन करने का सही समय (Right Time to Eat in Hindi)

हमारा शरीर कभी-भी कुछ-भी खाने के लिए नहीं होता हैं। आयुर्वेद का माने तो, हमें अपने खाने का समय निश्चित करना चाहिए। हमें सूर्य उदय और सूर्य अस्त होने का समय पूरी तरह ज्ञात होनी चाहिए। आयुर्वेद का माने तो भोजन 1 दिन में 2 बार ही करने के लिए कहा गया हैं। पहला सुबह 9 से 11 बजे के बीच भर पेट खा लें और दूसरा शाम को 5 से 7 बजे के बीच खा लें, मतलब कि सोने से 3 घंटा पहले। शाम को भर पेट भोजन नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद में नास्ता का जिक्र कहीं भी नहीं किया गया हैं। 
 
अगर मॉडर्न साइंस की माने तो और इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में हमें तीन बार खाने की आदत पड़ गई हैं। सुबह, दोपहर और शाम। अगर आप 3 बार खाते हैं तो, सुबह का नास्ता आप 8 बजे तक खा लें, दोपहर का खाना 1 बजे और रात का खाना आयुर्वेद के अनुसार सूर्य अस्त के 30 मिनट पहले खा लेना चाहिए, नहीं तो अधिक-से अधिक शाम 7 बजे से पहले खा लें। दो बार खाने के बीच 5-6 घंटा का अंतर जरूर रखें। अगर आप खाने में 5-6 घंटे का अंतराल रखते हैं तो आप का पेट अच्छे से साफ होता हैं और शरीर से विषेला पदार्थ आसानी से बाहर निकल जाता हैं। 
 
आयुर्वेद के अनुसार रात के भोजन का ठीक से पाचन नहीं हो पाता हैं। रात को हमें दूध पीने की सलाह दी जाती हैं, क्योंकि रात को हमारे शरीर को जिस पोषक तत्व की जरूरत होती हैं, वह दूध से मिलती हैं। जिससे रात को अच्छी नींद भी आती हैं। इसलिए आपको जो चीज ज्यादा पसंद हैं, वह सुबह खाएयें, क्योंकि उस समय हमारी जठर अग्नि ज्यादा तेज होती हैं। 
 
हम जो कुछ भी खाते दोपहर 12 बजे से लेकर रात के 8 बजे तक पाचन का समय होता हैं, रात के 8 बजे से सवेरे 4 बजे तक पोषण का समय होता हैं और सवेरे 4 बजे से लेकर दोपहर के 12 बजे तक शरीर से गंदगी निकलने का समय होता हैं। जो खाना पचता हैं वह पोषण में चला जाता हैं, जो नहीं पचता हैं वह गैस और एसिडिटी बनता हैं। जो बेकार होता हैं वह मल द्वारा बाहर निकल जाता हैं। 

भोजन कितनी मात्रा में करनी चाहिए 

भोजन का सीधा संबंध हमारा जठर अग्नि से हैं। सुबह सूर्यदय के बाद लगभग 8-9 बजे हमारा जठर अग्नि बहुत तेज होता हैं। दोपहर 12-1 बजे के बाद हमारा जठर अग्नि धीरे-धीरे कम होने लगती हैं और शाम को हमारी जठर अग्नि सूर्य अस्त के बाद बहुत कम हो जाती हैं। 
 
इसलिए सुबह 8-9 बजे के बीच जो नास्ता करते हैं वह भरपेट करना चाहिए, क्योंकि उस समय हमारी जठर अग्नि बहुत तेज होती हैं। हम जो खाते हैं वह आसानी से पच जाता हैं। दोपहर में 12-1 बजे जो खाना खाते हैं, उस समय सुबह के अनुसार थोड़ी कम खानी चाहिए। मतलब कि अगर आप सुबह 5 रोटी खाते हैं तो दोपहर में आप 4 रोटी खाएँ। उसी प्रकार अगर आप दोपहर में 4 रोटी खाते हैं तो, आप रात को 3 रोटी ही खाएँ। यह भी कहा जाता हैं कि भोजन 24 कोर ही खाना चाहिए। खाना खाने के 40 मिनट बाद ही पानी पीयें। 

भोजन कितनी बार करनी चाहिए?

आयुर्वेद के अनुसार कहा गया हैं कि, भोजन 1 दिन में 2 बार ही करना चाहिए। एक बार सुबह 8-9 बजे और शाम 6-7 बजे भोजन करनी चाहिए। अगर आपका जठर अग्नि और पाचन-तंत्र बहुत मजबूत हैं तो आप 3 बार समय अनुसार सुबह, दोपहर और शाम को भोजन कर सकते हैं। 
 
आयुर्वेद में यह भी कहा गया हैं कि, अगर आपको खुलकर और समय पर भूख नहीं लगता हो तो, आप उस समय भोजन नहीं करें, जब आपको पूरी तरह भूख लगें उसी समय भोजन करें। अगर आपका जठर अग्नि और पाचन-तंत्र कमजोर हैं तो, आप थोड़ी-थोड़ी मात्रा में 2 बार के जगह 3 बार और 3 बार के जगह 4 बार खा सकते हैं। 

भोजन के प्रकार (Type of Food)

भोजन मुख्यत तीन प्रकार का होता हैं:-
 
(1.) सात्विक भोजन (2.) राजसिक भोजन (3.) तामसिक भोजन 
सात्विक भोजन:- सात्विक भोजन के अंतर्गत फल, दूध, दही, मक्खन, ताज़ी सब्जियाँ और अनाज आता हैं। 
राजसिक भोजन:- राजसिक भोजन के अंतर्गत जितने भी जंक फ़ास्ट-फ़ूड जैसे:- समौसा, पिजा-बर्गर, मोमोज़, चार्ट-चौमिन पकोड़े, तली हुई चीजें और कोल्ड ड्रींक आता हैं। 
तामसिक भोजन:- तामसिक भोजन के अंतर्गत अंडा, मांस, मछली, शराब और सड़ी-गली चीजों से बनाया गया सामाग्री आता हैं। 

सात्विक, राजसिक और तामसिक भोजन के फायदे और नुकसान 

सात्विक भोजन:- सात्विक भोजन करने से शरीर में बल आती हैं। मन स्वस्थ रहता हैं। ध्यान एकाग्रता बढ़ता हैं। शरीर में जोश, एनेर्जी आती हैं और हमलोग कम बीमार पढ़ते हैं। 
राजसिक भोजन:- राजसिक भोजन करने से ताकत तो आती हैं, लेकिन मन में गुस्सा, क्रोध, प्रेशर और शरीर में कई तरह की बीमारी आने का खतरा बना रहता हैं। 
तामसिक भोजन:- तामसिक भोजन करने से मन में गलत विचार और वासना आती हैं। शरीर ख़राब होती हैं और कई तरह का शरीर में बीमारी आती हैं। 
 
(नोट:- हमें अपना भोजन अपने शरीर के प्रकृति के अनुसार करना चाहिए। वह कहावत तो आपने सुना होगा, जैसा खाएँ अन्न वैसा होय मन)
 
 

भोजन करते समय इन बातों का ध्यान जरूर रखें?

जब आपको खुलकर भूख लगें तभी भोजन करना चाहिए। भोजन में चिकनाहट चीजों को शामिल करना जैसे:- घी और तेल को शामिल करना। घी शुद्ध होनी चाहिए और तेल आप किसी भी प्रकार का शामिल करते हैं, चाहें वह सरसों का हो या फिर नारियल, सूर्यमुखी या सोयाबीन लेकिन तेल शुद्ध होनी चाहिए। सरसों का तेल सबसे अच्छा होता हैं। 
 
अपने भोजन में 40-50% कच्चे भोजन को शामिल जरूर करें। मतलब कि वह जीवित हो, वह कोई फल हो सकता हैं, कोई साग-सब्जी या कोई अंकुरित अनाज हो सकता हैं। अगर आप जीना और लम्बे समय तक स्वस्थ रहना चाहते हैं तो, अपने भोजन में इन चीजों को जरूर शामिल करें। पलेट में ज्यादा प्रकार का किस्म का भोजन शामिल नहीं करें,क्योंकि हमारा शरीर एक बार में कई तरह भोजन नहीं पचा पाता हैं। 
 
जब आप भोजन को पकाते हैं। भोजन को पचाने के लिए सभी जरूरी चीजें सिर्फ शरीर में ही नहीं होती, भोजन में भी एन्जाइम महजूद होती हैं। जब आप भोजन को पकाते हैं तो आप यह एन्जाइम काफी हद तक ख़त्म कर देते हैं। एन्जाइम के बिना खाने पर शरीर को काफी मेहनत करनी पड़ती हैं वह हिस्सा बनाने के लिए जो नष्ट हो गया हैं और उसके बाद ही भोजन को पचा सकता हैं। 
 
आमतौर पर खाना खाने के एक से डेढ़ घंटे तक यह शरीर के ऊर्जा को कम कर देता हैं, उसके बाद फिर धीरे-धीरे ऊर्जा देती हैं, इसलिए कई बार आप खाना खाने के बाद आलस का महसूस करते हैं। आपका पाचन-तंत्र कितना भी मजबूत हो वह सारा एन्जाइम नहीं बना सकता हैं जो पकाने में नष्ट हुआ हैं। 
 
अगर आपका पाचन-तंत्र ज्यादा मजबूत हो तो नष्ट हुआ एन्जाइम का 40-50% ही बना सकता हैं। अगर आपका पाचन-तंत्र कमजोर है तो यह एन्जाइम बनाने की संख्या बहुत कम हैं, फिर भी पूरा पका हुआ भोजन खाते हैं तो आपका खाया हुआ भोजन का 50-60% नष्ट हो जाता हैं, फिर भी शरीर को काम करना पड़ता हैं, इसके लिए शरीर को काफी मेहनत करनी पड़ती हैं। दालें और सब्जियाँ 10 से 15% कच्ची होनी चाहिए, इससे इनके सारे पोषक तत्व नष्ट नहीं होते हैं। 
 
खाना बासी नहीं होनी चाहिए। खाना बनने के 30 से 40 मिनट के अंदर खा लेना चाहिए। खाना गर्म खाएँये, लेकिन एक बार खाना ठंडा हो जाएँ तो, उसे दुबारा गर्म करके मत खाइये। आपके खाने में 6 स्वाद होनी चाहिए। वह हैं मीठा, खट्टा, तीखा, नमक, कसेला, और कड़वा। कसेला का मतलब हैं जो आंवला में जो पहला स्वाद होता हैं और कड़वा का मतलब हैं करेला का स्वाद। आंवला के सेवन से त्वचा लम्बे समय तक जवान बना रहता हैं और शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा करता हैं। खाना खाने के बाद छाछ और लस्सी का सेवन करना अच्छा होता हैं। 

भोजन किस प्रकार का करें 

भोजन किस प्रकार का करें, यह हमारा शारीरिक गतिविधि और शरीर के प्रकृति पर निर्भर करती हैं। अगर आप ज्यादा मेहनत का काम करते हैं तो आप भोजन भी उसी प्रकार का करें। अगर आपका सिर्फ टहलने का काम हैं तो, आपको उसी प्रकार का भोजन करें। अगर आप सिर्फ कुर्सी पर बैठे-बैठे काम करते हैं तो, आप उसी प्रकार का भोजन करें जो, जल्दी पचने वाला हैं। 
 
हमें सिर्फ लेटने और सोने से आराम नहीं मिलता हैं। हमें भोजन से भी आराम मिलता हैं, हमें उसी प्रकार का भोजन करना चाहिए जो शरीर और पेट को आराम देता हो। नियमानुसार भोजन करने से हमें आलस नहीं आती हैं, पेट की सफाई और जल्दी उठने में मदद करती हैं। 
 
नास्ता:- नास्ता कभी-भी एक प्रकार का नहीं करें, हर रोज अलग-अलग नास्ता करें। सुबह-सुबह आप जो रोज पराठा और छोले-भटूरे खाते हैं यह रोज नहीं खायें, हाँ स्वाद के लिए कभी-कभी खा सकते हैं। कभी अंकुरित अनाज लें, अंकुरित अनाज में मूंग, चना, राजमा, और मूँगफली का सेवन जरूर करें। मूँगफली को रात में पानी में भिगों कर छोड़ दें, उसे सुबह नास्ते में या फिर मिक्सर के द्वारा उसमें कोई फल मिलाकर जूस भी बनाकर पी सकते हैं। फल में केला अच्छा होता हैं। कभी जूस, दलिया और रोटी सब्जी का भी प्रयोग करें। 
 
दोपहर का खाना:- दोपहर का खाना खाने से पहले सलाद और फलों को खायें, उसके बाद आप चावल, दाल और रोटी का सेवन करें। खाने में कम-से-कम 1 चम्मच घी को जरूर शामिल करें। खाना खाने के अंतिम में कुछ मीठा का सेवन जरूर करें। भोजन करने के कुछ समय बाद छाछ का प्रयोग करना अच्छा होता हैं। 
 
रात का भोजन:- सूर्य अस्त होने के बाद हमारी जठर अग्नि मंद हो जाती हैं, इसलिए रात का भोजन कम और हल्का होनी चाहिए, जो जल्दी पचने वाला हैं। सब्जी में लौकी, तौरी, टिंडे और परवल जैसे हरी सब्जियों का सेवन करें। दालें में सिर्फ मूंग दाल का सेवन करें। रात के भोजन के 1 घंटा बाद दूध का सेवन जरूर करें। दूध के सेवन से रात को अच्छी नींद आती हैं। दूध देशी गाय का सबसे अच्छा होता हैं। 
 
 

रात को देर से खाने से क्या नुकसान होता हैं?

  • आयुर्वेद में कहा गया हैं कि, रात को ज्यादा देर से खाना नहीं खाना चाहिए। क्या यह भाग-दौड़ भरी जिन्दंगी में यह संभव हैं भी या नहीं। हम अपने जरूरत को पूरा करने के लिए, कभी हम ऑफिस या कंपनी से देर आते हैं तो कभी हम दुकान से देर रात से आते हैं। हम ये भी चाहते हैं कि, कम-से-कम एक समय का खाना अपने परिवार के एक साथ बैठकर खाना खायें। जिस प्रकार सूर्य डूबने के बाद पेड़, फूल और पत्ते मुरझा जाते हैं, उसी प्रकार सूर्य डूबने के बाद हमारी जठर अग्नि भी मंद होने लगती हैं। 
  • देर रात खाना खाने से अपच, गैस, एसिडिटी, पेट फूलना और ढाकार जैसी समस्या होती हैं। 
  • देर रात खाना खाने कब्ज की समस्या होती हैं। 
  • ज्यादा देर रात खाना खाने से कोलेस्ट्रॉल, मोटापा, उच्च रक्त-चाप, शुगर और दिल से जुड़ी समस्या होती हैं। 
  • देर रात खाना खाने से याददाश्त और सिखने की क्षमता भी कम होती हैं। 

खाना खाने के बाद क्या करें?

  • खाना खाने के बाद कम-से-कम 10 मिनट बाएँ करवट लेकर जरूर लेते, इससे पाचन-शक्ति बढ़ती हैं और खाना जल्दी पचता हैं, उसके बाद 100 कदम जरूर टहलें। 
  • खाना खाने के बाद थोड़ा सौंफ और मिश्री का मिश्रण जरूर खाएँ। 
  • खाना खाने के बाद आप सूर्यभेदी प्रणायाम या फिर वज्रासन में भी बैठ सकते हैं, दोनों भी कर सकते हैं। 
  • खाना खाने के 40 मिनट बाद निम्बू पानी पीना चाहिए, इससे शरीर में एसिड की मात्रा नियंत्रण रहती हैं। 
  • खाना खाने के 30 मिनट बाद ब्रश करना चाहिए, खासकर रात को, इससे दाँतों में फसे खाना बाहर निकल जाता हैं। 

खाना जल्दी पचाने का तरीका 

यह प्रकिया खासकर वह लोग करें, जो लोग रात में देर से खाना खाते हैं, क्योंकि रात में हमें खाकर सो जाना होता हैं। खाना खाने के बाद कुछ देर टहले, उसके बाद कम-कम 10 मिनट बिस्तर में बाएँ करवट लेकर लेते, ऐसा करने से आपका करने से आपका जठर अग्नि तेज होता हैं, जिससे खाना आसानी से और जल्दी पचता हैं।  आप खाने के बाद वज्रासन में बैठने से भोजन पचाने में मदद करता हैं। 
 
भोजन हल्का और भूख से थोड़ा कम खाएँ। छोटी-छोटी कोर और चबा-चबाकर खाएँ। जब आप खाना चबा-चबाकर खाते है तो मुँह का सलेवां पेट में जाता हैं जो खाना पचाने में मदद करता हैं। खाना खाने के बाद आप पान या सौंफ मिश्री का मिश्रण खाने से भी खाना जल्दी पचता हैं।

खाना खाने के बाद क्या नहीं करना चाहिए?

  • खाने खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए, पानी कम-से-कम 40 मिनट बाद ही पीना चाहिए। 
  • खाना खाने के तुरंत बाद नहीं सोना चाहिए। ऐसा करने से भोजन ठीक से नहीं पचता हैं और गैस, एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्या होती हैं। 
  • खाना खाने के तुरंत बाद फलों का सेवन नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से अपच और गैस की समस्या होती हैं। 
  • खाना खाने के तुरंत बाद स्नान नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से पेट की अग्नि शान्त हो जाती हैं। 
  • खाना खाने तुरंत बाद स्मोकिंग (सिगरेट पीना) नहीं करनी चाहिए, इससे हमारे शरीर को बहुत नुकसान करता हैं। 
  • खाना खाने के तुरंत बाद भी चाय नहीं पीनी चाहिए, इससे खाएँ गए भोजन का पोषक-तत्व ठीक से नहीं मिलता हैं, जिससे हमारे शरीर में खून की कमी भी होती हैं। 
 

FAQ. (भोजन से जुड़े सवाल और जबाब)

Q. खाना कैसे खाया जाता हैं?
Ans:- खाना हमेशा छोटी-छोटी कोर और 32 बार चबाकर खाना चाहिए। यह भी कहा जाता हैं कि, खाना 24 कोर ही खाना चाहिए। 
Q. खाना खाने में कितना समय लेना चाहिए?
Ans:- खाना खाने में 20 मिनट का समय लेना चाहिए। 
Q. रात में कितने बजे खाना खाना चाहिए?
Ans:- रात में अधिक-से-अधिक 7 तक खाना खा लेना चाहिए। 
Q. खाने का सही समय क्या हैं?
Ans:- खाने का सही समय सुबह नास्ता 7 से 8 बजे तक कर लेना चाहिए। दोपहर का लंच 12 से 1 बजे के बीच कर लेना चाहिए और रात का खाना 6 से 7 बजे तक खा लेना चाहिए। 
Q. बासी खाना खाने से क्या होता हैं?
Ans:- बासी खाना खाने से पेट में भारीपन, गैस, एसिडिटी और अपच जैसी समस्या होती हैं। रात का रखा बासी खाना में बैक्टेरिया उत्पन्न हो जाता हैं। 
Q. बार-बार कुछ खाना सही या गलत?
Ans:- बार-बार कुछ भी खाना सही नहीं होता हैं, क्योंकि जब आप भोजन के बीच नमकीन और जंक-फ़ास्ट फ़ूड खाते हैं तो, हमारे शरीर को पता नहीं चलता हैं वह पाचक रस भोजन के लिए बनाएँ या फिर किसी और चीज के लिए, इसलिए आप 2 बार खाते या फिर 3 बार भोजन का निश्चित समय निर्धारित करें। बीच-बीच में कुछ भी नहीं खाएँ, जब खुलकर भूख लगें तभी खाएँ। 
 
 
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